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डीडवाना महाशिवरात्रि पर निभाई गई सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी परंपरा

  • Gulam nabi azaad
  • Feb 27
  • 2 min read

Updated: Feb 28


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महाशिवरात्रि पर नाथ सम्प्रदाय के महंत का जुलूस पहुंचा मुस्लिम इलाकों में


मुस्लिम समाज द्वारा नाथ महंत का किया गया अभिनन्दन व स्वागत


मुस्लिम समुदाय ने श्रीफल भेंट कर नाथजी का किया स्वागत सत्कार


सदियों से हिन्दू-मुस्लिम समुदाय निभा रहे हैं पौराणिक परंपरा


नाथ महंत की नियुक्ति में भी मुस्लिम समाज की रहती है अहम भूमिका



दुनियाभर में भारत की पहचान गंगा जमुनी तहजीब की रही है। यहां सदियों से हिंदू मुस्लिम सहित अनेक समुदाय साथ रहते आए हैं। यह भारत का साम्प्रदायिक सोहार्द्ध ही है, जो सभी वर्गों ओर धर्मों को एकसूत्र में बांधे रखता है। ऐसा ही साम्प्रदायिक सौहार्द्ध ओर हिन्दू मुस्लिम एकता का नजारा आज डीडवाना में देखने को मिला, जब महाशिवरात्रि पर्व के मौके पर हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के लोग गले लगे ओर एक दूसरे का सम्मान किया।

पीर लक्ष्मणनाथ (महंत) जी ने कहा राजस्थान में डीडवाना की पहचान सांप्रदायिक सौहार्द्ध वाले शहर के रूप में रही है। डीडवाना शहर अपने आप में गंगा जमुनी तहजीब का एक बड़ा उदाहरण है, यहां दोनों सम्प्रदाय के लोग एक साथ धार्मिक परम्पराएं निभाकर दीपावली, होली, ईद एक साथ मनाते है।  महाशिवरात्रि पर भी एक ऐसी अनूठी परम्परा निभाई जाती है, जो दोनों धर्मो के सौहार्द्ध को एक डोर में बांधती है। ऐसी ही गंगा जमुनी तहजीब का नजारा आज डीडवाना में फिर से दिखाई दिया। धार्मिक सौहार्द्ध ऐसा की हर कोई एक दूसरे के प्रति सम्मान का भाव। मौका था महाशिवरात्रि का, इस मौके पर हर हर महादेव की गूंज के साथ साथ जोगामंडी धाम के प्रमुख पीर लक्षमणनाथ आज सुबह रथ पर सवार होकर गाजे-बाजे एवं जुलूस के साथ नगर भ्रमण के लिए निकले। उनका यह जुलूस सबसे पहले सैयदों की हताई और काजियों के मौहल्ले में पहुंचा, जहाँ सदियों पुरानी परम्परा के तहत मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नाथजी का स्वागत सत्कार कर उन्हे श्रीफल भेंट किया। दरअसल डीडवाना में सदियों पूर्व साम्प्रदायिक सद्भावना की जो नींव हिन्दू-मुस्लिम समुदायों के पूर्वजों ने डाली थी, वो आज भी बदस्तूर जारी है। दोनों समुदायों के लोग न केवल इस परम्परा का पौराणिक तरीके से अनुसरण कर रहे हैं, बल्कि देश व दुनिया को भी साम्प्रदायिक सद्भाव का संदेश दे रहे हैं।

वहीं रेहान उस्मानी (शहर काजी डीडवाना) जी ने बताया इस परम्परा के साथ एक खास बात और जुड़ी हुई है, जो सही मायने में साम्प्रदायिक सौहार्द की जड़ो को मजबूत करती है। नाथ सम्प्रदाय के इस जोगा मण्डी धाम में जब भी नाथ मठाधीश की नियुक्ति होती है, तब मुस्लिम समाज उन्हें पगड़ी पहनाता है और माथुर समाज शॉल ओढ़ाता है, तब जाकर नए महंत की नियुक्ति होती है। आज जब पूरे देश में साम्प्रदायिक सद्भाव के ताने बाने पर हमले हो रहे हैं, ऐसे दौर में आज भी भारत की गंगा जमुनी तहजीब जिंदा है, जो दुनिया को बताती है कि सभी भारतीय एक हैं, ओर उन नफरतों को भी खारिज करते हैं। यह सद्भाव उन लोगों को करारा जवाब है जो आए दिन समाज मे नफरत फैलाते हैं। डीडवाना कि यह अनूठी परम्परा देश को तोड़ने वाली ताकतो मुंह पर करारा तमाचा है और मिसाल भी है।


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